Wednesday, January 26, 2022

नसीब_ट्युरिस्ट_ढाबा

                               नसीब_ट्युरिस्ट_ढाबा

ये होटल नग्गल के पास हिमाचल प्रदेश बॉर्डर से मात्र 5 किलोमीटर पहले पंजाब में आनन्द पुर साहिब रोड नेशनल हाईवे 205 पर पंजाब से हिमाचल की तरफ जाते वक्त बांई तरफ है,
एक यात्री को क्या चाहिए अच्छा खाना, साफ सफाई, उचित दाम, अच्छी पार्किंग, अच्छी और फटाफट सर्विस!
मैं बताना चाहता हुं आपको नसीब ढाबे के बारे में, जहां आपको किसी भी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं मिलेगा, 24 घंटे अच्छी सेवा आपको देनें के लिए तत्पर रहने वाला होटल है ये,
होटल के मालिक इतने सरल स्वभाव के हैं कि अगर आप 10 मिनट इनके पास बैठ जाओ तो ये आपके साथ अपने काफी सारे अनुभव साझा कर लेंगे,
ये अंकल जिनकी फोटो मैं डाल रहा हूं बहोत ही अच्छे और शानदार व्यक्तित्व के धनी हैं, मेरे साथ अपने बचपन से लेकर अब तक की अपने संघर्ष की कहानियां शेयर कर लेते हैं, मेरी अपनी ट्युरिस्ट ऐजेन्सी है तो साल में कम से कम 10 बार उधर जाना हो जाता है, मैं जब भी जाता हूं आते और जाते वक्त अगर 100 किलोमीटर आगे या पिछे हों तो 1/2 घंटे चलकर इनके पास ही खाना और रुकना होता है, आप जिस तरह का भोजन चाहते हैं वैसा आपको मिलेगा (नॉनवेज भी)!
सबसे अच्छा मुझे ये लगा कि खाना इतना स्वादिष्ट और मसाला इतना परफेक्ट कि आपको कभी नमक भी लेने की जरूरत नहीं पड़ती,
दुसरी बात ये है कि जहां ह





में शहरों में दो से तीन हजार में भी अच्छा कमरा नहीं मिल पाता वहीं यहां आपको एक हजार में एक तरह का सुईट रुम जैसा कमरा मिलेगा, सफाई के मामले में आप देखेंगे की फर्श भी आईने की तरह चमकता हुआ मिलेगा, जहां नॉर्मल होटेल्स में कमरा होता है लगभग उतनी साईज का इनके कमरों में बाथरूम मिलेगा, कॉमन बाथरूम भी 15 से 20 बना रखे हैं और सबकी सफाई एक नंबर मिलेगी!
पार्किंग भी सिमेंटेड ब्लॉक्स द्वारा बनाई गई है जहां पानी, मिट्टी या किचड़ नहीं होता, छोटा सा बगीचा भी लगा रखा, होटल के पिछे ही इनकी करीब 30 बीघा जमीन है जिसमें ये खेती करते हैं, आप खेत में भी घूम सकते हैं!
पार्टी प्रोग्राम के लिए इनका बहोत बड़ा पार्टी हॉल भी है जिसमें खाने की सेल्फ सर्विस की सुविधा भी मुहैया करवाते हैं!
गर्मियों में एयर कंडीशन हॉल भी चालु रखते हैं!
होटल के डाइनिंग हॉल्स में एक साथ 400 आदमी खाना खा सकते हैं इतनी सुविधा मेंटेन करके रखते हैं,
कुल मिलाकर मैं कहना ये चाहुंगा कि जीरो बजट घुमक्कड़ यात्रियों के लिए खाने और ठहरने का इससे अच्छा होटल इस रास्ते पर मेरी नजर में नहीं है! वाकई जितनी तारीफ की जाए कम है!
आप भी कभी रुककर या खाना या नास्ता करके देखिएगा!
#मुसाफिरनामा!

Friday, January 21, 2022

नेपालयात्रा

                                                           नेपालयात्रा

भाग-1
कल दिनांक 19/01/2022 बुधवार दिन के 12 बजे अपनी वाटिका पर बैठे हम तीन मित्र चाय के साथ गुनगुनी धूप सेकते हुए गप्पें हांकने का आनंद ले रहे थे,
अचानक बैठे-बैठे चर्चा चली की नेपाल घूमने चला जाए, एक मित्र कैलाश पूर्व में भी जा चुका है वो बोला मात्र 1000/- रुपए में नेपाल पहुँचा जा सकता है, मैंने कहा कैसे भाई
🤔
तो बोला यहाँ से पटना ट्रेन किराया 500/- और पटना से जनकपुर,नेपाल का बस का किराया 500/- रुपए।
जनकपुर, नेपाल में कोई मिलने वाले हैं, मूल रूप से हमारे राजस्थान बाड़मेर के हैं।
उनकी नेपाल में नमकीन की होलसेल मैन्युफ़ैक्चरिंग और दो शराब की फ़ैक्टरी हैं।
कैलाश ने उन्हें तुरंत फ़ोन लगा कर कहा कि मेरे भाईसाहब नेपाल आने की सोच रहें हैं, उन भाईसाहब ने अपने चर्चे सुन रखे थे।
😎
मुझ से बात हुई तो उन्होंने तपाक से कहा की हम तो कबसे आपका इंतज़ार कर रहे हैं, जल्दी आ जाइए यहाँ सब इंतज़ाम हमारे फार्म हाउस पर ही रहेगा और क़सम दे दिए आपको आना ही पड़ेगा, नेपाल हम ही घुमाएँगे ।
“अंधा क्या चाहे, दो आँखे”
🤩
तुरंत ट्रेन देखना शुरू किया तो मेरे शहर से तो वेटिंग बता रहा था पर कोटा से एक ट्रेन थी ‘13240 कोटा से पटना’ जिसमें कल भी अवेलबल था और आज भी, मैंने कहा “काल करे सो आज कर” तो 12:30 पर मैंने तीन लोगों का स्लीपर सीट बुक करा शाम 06:10 का, किराया मात्र 565/- रुपए प्रति यात्री।
रिटर्न कराए नहीं अभी, टोटल unplanned journey है।
सच कहूँ तो सफ़र के लिए भारतीय रेल से सस्ता कुछ नहीं है।
🚂
तो साहब टिकट बुक हो गया तो अब लगा जल्दबाज़ी कर लिए, कोटा का रास्ता कार में कम से कम दो घंटे का और स्टेशन तक पहुँचना आधा घंटा।
तय हुआ कि 2 बजे तक निकल चलेंगे, पर तय करी हुई बातें हुईं हैं कभी…
😄
निकलते-निकलते हो गए 3:25 कोटा में गाड़ी जहाँ खड़ी करनी थी वहाँ पहुँचे 5:50pm
स्टेशन का रास्ता 15 मिनट का था, कुल जमा समय था 5 मिनट एक्स्ट्रा वो भी हमने मित्र के घर चाय पीने में निकाल दिया…
☺️
उबलती धड़कनों के साथ कोटा स्टेशन पहुँचे 6:08pm पर।
गाड़ी यहीं से शुरू होनी थी सो लगा नियत समय पर ही जाएगी, पर हिंदुस्तान है
😉
ट्रेन चली 6:25 पर
तब तक हम अपनी-अपनी सीटों पर पसर चुके थे….
खाना वगेहरा साथ लाए थे, ठंड का मौसम, सो लगभग 8 तक खा पी कर अपने-अपने कम्बल ओढ़ सो गए।
रात 10 बजे भरतपुर स्टेशन से एक अधेड़ सहयात्री अपनी धर्मपत्नी और सुपुत्री के साथ ट्रेन में चढ़े और मुझे उठा दिया की ये हमारी सीट है,
मैंने कहा अंकल हम पहले ही अपनी सीट देख कर बैठे हैं ताकि रात को कोई परेशान ना करे और आपने वही कर दिया मेरी आवाज़ सुन कर दोनो मित्र भी उठ गए।
ख़ैर…. हमने लाइट जला कर उनके मोबाइल में टिकट देखा तो हमारे सामने और साइड बर्थ उनकी थी।
उन्हें उनकी बर्थ बता कर फ़िर सोने का प्रयास किया…
अंकल जी आवाज़ से यूपी-बिहार के लग रहे थे।
बातचीत बढ़ाने के उद्देश्य से उसने अंकल से पूछा तो पता लगा गोरखपुर यू॰पी॰ से हैं,
अरे, अपने जोगी बाबा के चुनावी क्षेत्र से
🤨
अब तो अपनी भी नींद उड़ गयी।
मैंने कहा अंकल यूपी कौन जीत रहा है?
अंकल बुझे मन से बोले “आयेगा तो योगी ही”
😁
मैंने पूछा क्यों तो बोले काम करवायें हैं बहोत, गुंडई खतम कर दिए।
हम कहे फिर काहे दुखी हो, अखिलेश जादो आना चाहिए का, बोले ना ना गुंडाराज नहीं चाहिए पर खांग्रेस आता तो ठीक था, पर आएगा नहीं।
बस इतना सुनते ही अपन चैन से चद्दर ओढ़ कर सो गए।
😊
सुबह कानपुर में उठे तो पता लगा 5am कानपुर पहुचने का समय था जो 8 बजे पहोंची है 3 घंटे लेट
😚
यानी पटना जो शाम 7:30 का समय था अब थोड़ा कवर भी किया तो बजेंगे रात के 9-10…. तय हुआ कि आज रात पटना ही रुकेंगे।
कानपुर निकल चुका है, अगला बड़ा स्टेशन लखनऊ है और हम राष्ट्रीय पेय चाय में डुबो कर साथ लाए पराँठे खा रहे हैं….
😋
*आगे की यात्रा का व्रतांत देते रहेंगे, जुड़े रहिए अगली पोस्ट तक….*
☺️

एक नदीद्वीप की सैर

                                                एक नदीद्वीप की सैर

गुवाहाटी में मां कामाख्या मंदिर के बाद सबसे दर्शनीय स्थान उमानंद मंदिर है। इस मंदिर में जाने के एक ओर नौका विहार का आनंद मिलता है तो दूसरी ओर विश्व के सबसे छोटे नदीद्वीप को देखने का अवसर मिलता है और साथ ही स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।

गुवाहाटी के फैंसी बाजार और हाईकोर्ट के पास से ब्रह्मपुत्र नदी के घाट हैं जहां से उमानंद मंदिर के लिए फेरी-स्टीमर चलते हैं जो प्रति व्यक्ति 100/-रुपये आने जाने के लेते हैं। स्टीमर से 12-15 मिनट की यात्रा के बाद उमानंद द्वीप के घाट पर पहुंच जाते हैं जहां से करीब 130 सीढियां चढ़कर मंदिर में पहुंचा जा सकता है।
गुवाहाटी शहर के बीच से होकर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी के बीच बना उमानंद द्वीप दुनिया के सबसे छोटे नदी द्वीपों में गिना जाता है।यह द्वीप एक छोटी सी पहाड़ी है जिसे भस्माचल पर्वत भी कहते हैं। स्थानीय मान्यता है कि इस जगह तपस्यारत शिव ने कामदेव को समाधि भंग करने पर अपने तीसरे नेत्र से भस्म कर दिया था। यह द्वीप मोर के आकार का होने के कारण ब्रिटिश उपनिवेश के समय पीकाक आईलैंड के नाम से जाना जाता था। मंदिर में मुख्य मंदिर विष्णु और शिव के हैं। प्रवेशद्वार पार करते ही एक बडे हाल कमरे में विष्णु और सूर्य की छोटी प्रतिमाएं स्थापित हैं। हाल कमरे के पीछे स्थित मंदिर में कुछ सीढियां उतर कर स्वयंभू शिवलिंग है जिसे उमानंद शिव कहते हैं।
मंदिर परिसर के बाहर एक गणेश मंदिर और आसपास तीन - चार छोटे छोटे शिवालय ओर बने हैं।
मंदिर से चारों ओर देखने पर ब्रह्मपुत्र की अविरल धारा का मोहक दृश्य सम्मोहित करता है। इस द्वीप पर घूमने के लिए एक फुटपाथ बना है जिससे द्वीप पर पाई जाने वाले सुपारी, नारियल, बांस, बेत, बेर व अन्य वनसंपदा के बीच चलते हुए सुखद अहसास होता है।
समय की सुविधानुसार घाट से मिलने वाली फेरी व स्पीड बोट से नदी में यात्रा का मजा लिया जा सकता है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन, पलटन बाजार, बेलटोला, दिसपुर, खानापारा सहित अन्य जगहों से ब्रह्मपुत्र फेरी घाट के लिए आटो व स्थानीय परिवहन सुविधा उपलब्ध है।




Umananda Temple is the most visible place after Maa Kamakhya Temple in Guwahati. By visiting this temple, one gets the pleasure of boating and on the other one gets the opportunity to see the world's smallest river island and also gets the privilege of seeing the self-styled Shivling. There are ghats of Brahmaputra river near the fancy market and high court of Guwahati from where ferry-steamers run to Umanand temple which charges Rs.100/- per person for travel. After a journey of 12-15 minutes by steamer, Umanand reaches the ghat of the island, from where the temple can be reached by climbing about 130 steps. Umanand Island, built in the middle of the Brahmaputra river flowing through the city of Guwahati, is counted among the smallest river islands in the world. This island is a small hill which is also known as Bhasmachal Parvat. Local belief is that Lord Shiva, who was doing penance at this place, had consumed Kamadeva with his third eye after breaking his samadhi. The island was known as Peacock Island at the time of British colonization due to the size of a peacock. The main shrines in the temple are those of Vishnu and Shiva. As soon as you cross the entrance, small statues of Vishnu and Surya are installed in a large hall room. There is a self-styled Shivling, which is called Umanand Shiva, after descending some steps in the temple located behind the hall room. There is a Ganesh temple outside the temple complex and three or four small pagodas around it. Looking around from the temple, one mesmerizes the mesmerizing view of the continuous stream of Brahmaputra. A footpath has been made to roam on this island, which gives a pleasant feeling while walking among the betel nut, coconut, bamboo, cane, plum and other forest wealth found on the island. According to the convenience of the time, traveling in the river can be enjoyed by the ferry and speed boat available from the ghat. Auto and local transport facility is available for Brahmaputra Ferry Ghat from Guwahati Railway Station, Paltan Bazar, Beltola, Dispur, Khanapara and other places.

नसीब_ट्युरिस्ट_ढाबा

                                नसीब_ट्युरिस्ट_ढाबा ये होटल नग्गल के पास हिमाचल प्रदेश बॉर्डर से मात्र 5 किलोमीटर पहले पंजाब में आनन्द पुर स...