Wednesday, May 6, 2020

SOUTH INDIA KA SWITZERLAND-- Kodaikanal

पहाड़ सदा से मुझे आकर्षित करते रहे है।  दक्षिण भारत में पहाड़ो की रानी कहे जाने वाले कोडाइकनाल जाने का प्रोग्राम बना तो मन खुश हो गया। यह नौ सदस्यों की परिबारिक यात्रा थी।बेहद खूबसूरत। चेन्नई से मदुरै और कोडाइकनाल।तमिलनाडु में एक और आस्था का केंद्र मदुरै है तो और प्रकृति की स्वभाविक छठा बिखेरता कोडाइकनाल।आसपास के समुद्र भी खूबसूरत है, मदुरै पहुंचते ही शाम हो गई थी।हम लोग रात में ही मीनाक्षी मंदिर दर्शनं किये। यह मंदिर नौ गलियो के  बीच में है। और हर गली में बहुत सारी दुकानें है।  जिसमें सुन्दर मुर्तियो , कलाकृत्यो, पूजा का सामान और मिठाइया मिलती है। इस मंदिर के हर ओर भव्य गोपुरम है जिन पर हिन्दू देवी देवताओ की नक़्क़शीदार मुर्तिया देखते ही बनती है ऊपर से देखने पर पता चलता है कि यह मंदिर शहर के बीच में है जहां पहुंचने के चार मार्ग चारो दिशाओं में है।  मिनाक्षी देवी यानी मछली की आँख जैसी पारवती देवी की प्रतिमा मुख्य है,पर भगवान शिव की नटराज के रूप में भी मूर्ति है।  इस मूर्ति की खासियत यह है की यहा शिव बांय पाँव पर नहीं बल्कि दायं पांव पर नृत्य करते दिखते है रात की रौनक इतनी आकर्षक थी की लाइन में खड़े रहने पर भी कोई थकावट नहीं महसूस हुई। 



दूसरे दिन हमें कोडाइकनाल के लिए जाना था। मिनी बस में यात्रा का आनंद  ही कुछ और होता है जहा मर्जी रोक लो। पहाड़ी झरनो और मनमोहक दृश्यों को देखकर आंखे बंद करने का मन नहीं करता है। ऐसे में आनंद लेते हुए और खाते पीते हुए चलते रहो।  दक्छिन भारत का स्विट्ज़रलैंड कहलाने वाला यह तमिलनाडु का प्रशिद्ध हिल स्टेशन हैं यहा ठण्ड भी सिर्फ उतनी ही पड़ती है कि एक स्वेटर काम चल जाए।  हालाँकि रात में ठण्ड थोड़ी बढ़ जाती है। पहाड़ की हर सीडी पर बसे होटलों घरों में जब बत्तियां जलती हैं तो लगता है जैसे तारे जमीन पर उतर आए हों।  बोटिंग क्लब और बॉटनिकल गार्डन तो दर्शनीय स्थान हैं ही पहाड़ों के बीच बनी  नैचरल झील , पिलर रॉक्स पेरुमल पीक और हर्बल पीक भी देखने लायक हैं।  हर्बल पहाड़ जड़ी बूटियां के पेंड क लिए जाने जाते हैं जिसमे अलग अलग रंगों की पत्तियां मन को मोह लेती है।  कुछ ऐसे फूलों की प्रजातियां भी देखने को मिली जो केवल यहा ठण्ड में ही होती है यहां सिल्वर वैल्ली एक ऐसा पॉइंट है ,जिसमे कटी खाडी डालो क बीच इतनी गहराई है कि  जब इसमें बादल फँस जाते है, तो जल्दी निकल नहीं पाते और देर तक पूरी घाटी में कुहासा छाया रहता है। पहाड़ों पर बादलों का उतरना और झट बरस कर छूट जाना आम बात है , इसलिए टूरिस्ट अपने साथ छतरी भी रखते हैं।  सभी दर्शनीय स्थानों के पास गर्म भुट्टे और मुगफली के दानो की खूब बिक्री होती है वैसे यहा चॉक्लेट खूब बनाये जाते है।  क्योंकि यहा कोकोआ की खेती बहुत होती है।  यह लघु उद्योग की तरह घरों में बनाया जाता हैं।  कभी चावल की तीन फैसले एक साल में होती थी ,पर अब पानी की कमी के कारन एक बार ही यह फसल होती हैं।  दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ अब इन जगहों में उत्तर भारत के भी खाद्य पदार्थ मिलने लगे हैं।  इन स्थानों में जाने के सभी साधन उपलब्ध हैं। चेन्नई से अनेक ट्रैन मदुरै को जाती हैं।  यात्रायें केवल मनोरंजन ही नहीं करती , सामूहिकता में जीना भी सिखाती हैं।  अलग-अलग एकल परिवार से निकल कर कभी सामूहिक रूप से यात्रा करके देखिये ,एक दुझे के सुख -दुःख बाँटने का यह अवसर होता हैं। 












 so please visit 

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The mountains have always attracted me. When a program was made to go to Kodaikanal, the queen of hills in South India, the mind became happy. It was a family trip of nine members. Very beautiful. Madurai and Kodaikanal from Chennai. Another center of faith in Tamil Nadu is Madurai and Kodaikanal, the natural sixth sprawling of nature. The sea around it is also beautiful, it was evening when we reached Madurai. We visited the Meenakshi Temple at night. This temple is in the middle of nine streets. And every street has a lot of shops. In which beautiful murtios, artworks, items of worship and sweets are available. There are grand gopurams on each side of this temple, on which the carved statues of Hindu Gods and Goddesses are made as soon as seen from above, it is seen from the top that this temple is in the middle of the city where there are four directions to reach it. The idol of Parvati Devi, like Minakshi Devi, that is, the eye of the fish, is the main, but there is also an idol of Lord Shiva in the form of Nataraja. The specialty of this idol is that here Shiva is seen dancing on the left foot but not on the right foot, the night's beauty was so attractive that even when standing in line, no tiredness was felt.

दूसरे दिन हमें कोडाइकनाल के लिए जाना था। मिनी बस में यात्रा का आनंद  ही कुछ और होता है जहा मर्जी रोक लो। पहाड़ी झरनो और मनमोहक दृश्यों को देखकर आंखे बंद करने का मन नहीं करता है। ऐसे में आनंद लेते हुए और खाते पीते हुए चलते रहो।  दक्छिन भारत का स्विट्ज़रलैंड कहलाने वाला यह तमिलनाडु का प्रशिद्ध हिल स्टेशन हैं यहा ठण्ड भी सिर्फ उतनी ही पड़ती है कि एक स्वेटर काम चल जाए।  हालाँकि रात में ठण्ड थोड़ी बढ़ जाती है। पहाड़ की हर सीडी पर बसे होटलों घरों में जब बत्तियां जलती हैं तो लगता है जैसे तारे जमीन पर उतर आए हों।  बोटिंग क्लब और बॉटनिकल गार्डन तो दर्शनीय स्थान हैं ही पहाड़ों के बीच बनी  नैचरल झील , पिलर रॉक्स पेरुमल पीक और हर्बल पीक भी देखने लायक हैं।  हर्बल पहाड़ जड़ी बूटियां के पेंड क लिए जाने जाते हैं जिसमे अलग अलग रंगों की पत्तियां मन को मोह लेती है।  कुछ ऐसे फूलों की प्रजातियां भी देखने को मिली जो केवल यहा ठण्ड में ही होती है यहां सिल्वर वैल्ली एक ऐसा पॉइंट है ,जिसमे कटी खाडी डालो क बीच इतनी गहराई है कि  जब इसमें बादल फँस जाते है, तो जल्दी निकल नहीं पाते और देर तक पूरी घाटी में कुहासा छाया रहता है। पहाड़ों पर बादलों का उतरना और झट बरस कर छूट जाना आम बात है , इसलिए टूरिस्ट अपने साथ छतरी भी रखते हैं।  सभी दर्शनीय स्थानों के पास गर्म भुट्टे और मुगफली के दानो की खूब बिक्री होती है वैसे यहा चॉक्लेट खूब बनाये जाते है।  क्योंकि यहा कोकोआ की खेती बहुत होती है।  यह लघु उद्योग की तरह घरों में बनाया जाता हैं।  कभी चावल की तीन फैसले एक साल में होती थी ,पर अब पानी की कमी के कारन एक बार ही यह फसल होती हैं।  दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ अब इन जगहों में उत्तर भारत के भी खाद्य पदार्थ मिलने लगे हैं।  इन स्थानों में जाने के सभी साधन उपलब्ध हैं। चेन्नई से अनेक ट्रैन मदुरै को जाती हैं।  यात्रायें केवल मनोरंजन ही नहीं करती , सामूहिकता में जीना भी सिखाती हैं।  अलग-अलग एकल परिवार से निकल कर कभी सामूहिक रूप से यात्रा करके देखिये ,एक दुझे के सुख -दुःख बाँटने का यह अवसर होता हैं। 


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